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रोहिणी भइया के चक्षुओं से मानो स्नेह झरने लगा। वे हँसकर बोले, “अच्छा, अच्छा, सो ठीक। एक रसोइया तक तो रख नहीं सकता, चूल्हे के नजदीक दोनों वेला पचते-पचते तुम्हारी तो ...